लॉकडाउन को तीन महीने से अधिक समय हो चुका है और उन बुजुर्गों को सबसे ज्यादा परेशानी आ
रही है जिन्हें आंखों की समस्यायें हैं। यही नहीं, उन्हें इस बात का डर है कि यदि उपचार में देरी हुई, तो
वे अंधे हो सकते हैं। इनमें से अधिकांश लोग लॉकडाउन के कारण डॉक्टर के पास नहीं जा पा रहे हैं और
उन्हें इस बात की भी चिंता सता रही है कि घर से बाहर निकलने पर वे कोविड-19 से संक्रमित हो सकते
हैं।
बुजुर्ग लोगों में रोकथाम के योग्य नेत्रहीनता का प्रमुख कारण रेटिना का एक रोग है, जिसे एज-रिलेटेड
मैक्युलर डीजनरेशन (एएमडी) कहते हैं। 1 साल 2040 तक भारत में एएमडी के रोगियों की संख्या 288
मिलियन तक हो सकती है। 2 एएमडी रोग में असामान्य रक्त नलिकाएं मैक्युला (रेटिना का मध्य
भाग) में विकसित होती हैं, जिससे मध्य दृष्टि को क्षति होती है।
दृष्टि में खराबी के साथ जी रहे बुजुर्गों में सामान्य रोगियों की तुलना में डिप्रेशन होने का खतरा बहुत
अधिक होता है। 3 एएमडी के लगभग एक तिहाई रोगियों में डिप्रेशन पाया गया है, जो सामान्य दृष्टि
वाले बुजुर्गों के जीवनकाल की तुलना में दोगुना है। 4 एएमडी के रोगियों को दुर्घटना से गिरने और
चोटिल होने का जोखिम भी बहुत अधिक होता है। 5
‘’हम सभी अनलॉक 1 की स्थिति में हैं। हालांकि, मौजूदा हालातों में अन्य बीमारियों तथा आंखों से
जुड़ी तकलीफों के साथ जी रहे बुजुर्गों को काफी ज्यादा खतरा है। उन्हें डिप्रेशन, एंग्जाइटी और
गिरने के डर का जोखिम ज्यादा रहता है। इसलिये, केयरगिवर्स से हमारी गुजारिश है कि वह घर के
कामों में उनकी मदद कर, उन्हें अपनी दवाओं के बारे में याद दिलाकर और घर से खतरनाक टूल्स को
हटाकर उनकी शारीरिक और मानसिक रूप से सहायता करें। रेटिना से जुड़े ज्यादातर मामलों में हम
बीमारी के 60 प्रतिशत तक बढ़ जाने के एडवांस स्टेज पर ही ध्यान देते हैं। इसलिये, यह जरूरी है कि
लक्षणों पर ध्यान रखा जाये और ऐसे मुश्किल समय में टेलीकंसल्टेशन के माध्यम से उनके
डॉक्टर्स के साथ संपर्क में रहें।‘’ यह कहना है जयपुर के केसी मेमोरियल आई हॉस्पिटल में नेत्र विशेषज्ञ
डॉ. रोहित चरण का।
नीचे कुछ बेहतरीन उपाय दिये जा रहे हैं, जिन्हें लॉकडाउन के दौरान अपनाने से एएमडी के रोगी और
उनकी देखभाल करने वाले स्थिति को बेहतर बना सकते हैं :
1 http://www.bhj.org.in/journal/2002_4403_jul/md_318.htm
2 ttps://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4699633/
3 https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4699633/
4 https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4699633/
5Data driven by report of – Risk of Falls, Injurious Falls, and Other Injuries Resulting from Visual Impairment among Older Adults with Age-
Related Macular Degeneration
अपने डॉक्टर के संपर्क में रहें: हाल ही में ऑल इंडिया ऑफ्थैल्मोलॉजिकल सोसायटी (एआईओएस)
ने एएमडी के रोगियों के लिये इंजेक्शंस के सम्बंध में दिशा-निर्देश जारी
किये थे, जिनसे चूकना नहीं चाहिये। एंटी-वीईजीएफ इंजेक्शंस वाले
रोगियों को इंजेक्शन लेने के लिये डॉक्टर के पास जाना पड़ सकता है,
इसलिये रोगियों और उनकी देखभाल करने वालों से अपॉइंटमेन्ट
निर्धारित करने के लिये डॉक्टर से पूछने और टेली-कंसल्टेशन के माध्यम
से लगातार डॉक्टर के संपर्क में रहने का अनुरोध किया जाता है।
बुजुर्गों के प्रति संवेदना रखें: आपके बुजुर्ग परिजन इस कठिन दौर में
शारीरिक और मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं। यदि आप उनसे अलग रहते
हैं, तो फोन कॉल के जरिये उनके संपर्क में रहें। यदि आप उनके साथ रहते हैं, तो उन्हें विभिन्न
गतिविधियों में संलग्न करें और गतिविधियों में उनके साथ भाग लें। संगीत और ऑडियो बुक्स
सुनें, ध्यान करें और बोर्ड गेम्स खेलें। परिवार के युवा सदस्य घर के काम निपटायें।
एम्सलर ग्रिड का उपयोग कर लक्षणों पर नजर रखें: एम्सलर ग्रिड का उपयोग कर एएमडी के रोगी
प्रतिदिन अपनी दृष्टि की जाँच कर सकते हैं। यह ग्रिड दृष्टि के असामान्य बदलावों का परीक्षण
करने में आपकी मदद करती है। यदि आपको ग्रिड में रेखाएं लहरदार, टूटी हुईं या धुंधली दिखें, तो
तुरंत अपने रेटिनोलॉजिस्ट से संपर्क करें।
अपने घर से खतरे वाली सभी वस्तुओं को हटा दें – घर में जहाँ आप चलते हैं और काम करते हैं, वहाँ
की सभी असुरक्षित चीजों को अपने परिवार के युवा सदस्यों या पड़ोसियों की मदद से हटा दें। इससे
खराब दृष्टि के कारण दुर्घटना से गिरने का जोखिम कम होगा।
हेल्दी डाइट लें और सही दवाएं लेते रहें: परिवार के सदस्यों को इस बात का पूरा ध्यान रखना
चाहिये कि एएमडी के रोगियों का रूटीन वही रहे, जो लॉकडाउन के पहले था। ध्यान रखें कि वे
हेल्दी डाइट लें, जीवनशैली में कोई बड़ा बदलाव न करें और दवाएं तथा उपचार लेते रहें।
अपने घर में रोशनी की बेहतर व्यवस्था करें – इसके लिये दिन के समय खिड़कियों को खुला रखा
जा सकता है और रात के समय ज्यादा लाइट्स और लैम्पों को चालू करके रखा जा सकता है। सोते
समय भी, कुछ लाइट्स को ऑन रखें, ताकि यदि आप रात में जागकर चलें, तो किसी चीज से न
टकरायें
पड़ोसियों से मदद लें: यदि आप अकेले या अपने बुजुर्ग पति/पत्नी के साथ रहते हैं, तो किराना और
दवाओं के लिये पड़ोसियों की मदद लेने में संकोच न करें। इमरजेंसी होने पर उनसे सहायता लें और
इमरजेंसी नंबर्स की पूरी जानकारी अपने पास रखें, जैसे एम्बुलेंस, नजदीकी अस्पताल, पुलिस
स्टेशन, आदि।