Wednesday, September 11, 2024

सोरायसिस की जल्‍दी पहचान और उपचार होने से उससे होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है

इस वर्ल्‍ड सोरायसिस डे (29 अक्टूबर 2020) के अवसर पर जाने-माने डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. बृजेस नायर रोगियों को इस बीमारी के लक्षण उभरने पर इसकी सही समय पर जाँच और उपचार कराने की सलाह दे रहे हैं। उन्होंने सोरायसिस पर समग्र नियंत्रण के महत्व पर भी प्रकाश डाला है, जिसमें रोगी, उसकी देखभाल करने वालों और इलाज कर रहे डर्मेटोलॉजिस्ट के संयुक्त प्रयासों की जरूरत होती है।

कई डर्मेटोलॉजिस्ट्स के अनुसार, मामूली से लेकर गंभीर सोरायसिस से पीड़ित लोगों को उच्च गुणवत्ता के उपचार और इस बीमारी की नियमित जाँच की जरूरत होती है। हो सकता है कि सिर की त्वचा, जननांग और पल्मोप्लांटर (यह हथेली और पैरों के तलुवे को प्रभावित करता है) में जलन से कोई सामान्य फिजिशियन इस रोग का आकलन न कर सके। इसलिये, इन लक्षणों के ज्यादा गंभीर अवस्था में पहुँचने से पहले सही उपचार के लिये केवल डर्मेटोलॉजिस्ट से परामर्श लेना महत्वपूर्ण है।

सबसे आम धारणा यह है कि सोरायसिस केवल ‘त्वचा का रोग’ है, जिसके विपरीत यह एक स्थायी और स्व-प्रतिरक्षित रोग है, जिसमें त्वचा पर खुजलीदार और सिल्वर रंग की पपड़ी वाले लाल दाग उभर आते हैं और अक्सर इसे संक्रामक मान लिया जाता है। यह एक सामान्य चकत्ते जैसी हो सकती है। हालांकि, सोरायसिस तब होता है, जब शरीर का इम्युन सिस्टम अपनी ही स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला करता है। इसके कारण त्वचा की नई कोशिकाएं तेजी से बनती हैं, जिससे सूखे दाग दिखाई देते हैं, क्योंकि यह कोशिकाएं त्वचा की सतह पर जमा हो जाती हैं।

जयपुर मिलिट्री हॉस्पिटल के कंसल्टेन्ट डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. बृजेस नायर ने कहा, ‘‘त्वचा के विभिन्न रोगों में से मैं हर महीने सोरायसिस के लगभग 20 नये रोगी देखता हूँ। रोगियों की मौजूदा अवस्था का पता लगाने के बाद उन्हें ऐसे उपचार की सलाह दी जाती है, जो उनके रोग की गतिविधि के अनुसार भिन्न हो सकता है। सामयिक उपचार बगैर गठिया वाले माइल्ड सोरायसिस के लिये दिया जा सकता है। जबकि डीएमएआरडी और बायोलॉजिकल्स जैसी प्रभावी थेरैपीज माइल्ड और मामूली से लेकर गंभीर सोरायसिस के रोगियों को हथेली, चेहरे, जननांग, आदि जैसे संवेदी अंगों पर दी जा सकती है, क्योंकि यह स्थितियाँ रोगी के जीवन की गुणवत्ता के लिये नकारात्मक हो सकती हैं। अगर उपचार कर रहा डर्मेटोलॉजिस्ट जोड़ों में दर्द, नसों और उंगलियों में प्रदाह, एक्सियल पेन, आदि का पता लगाता है, तो गठिया के विशेषज्ञ (रूमैटोलॉजिस्ट) को तुरंत दिखाना चाहिये।

सोरायसिस का कोई पक्का इलाज नहीं है, लेकिन बायोलॉजिक्स जैसे उन्नत उपचार विकल्प इस रोग से पीड़ित कई लोगों के लिये क्रांतिकारी साबित हुए हैं। इससे सह-रूग्णताओं के विकसित होने का जोखिम भी कम हो सकता है। डर्मेटोलॉजिस्ट्स ने पाया है कि सकारात्मक परिणाम मिलना शुरू होने के बाद रोगी अपने जारी उपचार को अनियमित कर देते हैं। हालांकि, यह ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है कि उपचार के अनियमित होने से सोरियाटिक आर्थराइटिस, कार्डियोवैस्कुलर रोग, यूवेइटिस, आदि जैसी सह-रूग्णताएं विकसित होने की संभावना बढ़ सकती है। सोरायसिस के चार में से लगभग एक रोगी को सोरियाटिक आर्थराइटिस होता है।

कोविड के आने के बाद यह माना गया कि सोरायसिस जैसे स्व-प्रतिरक्षित रोग वाले लोग कोविड-19 के संक्रमण को लेकर ज्‍यदा संवेदनशील होंगे। इससे उपचार के अनुमान पर कई सवाल खड़े हुए और डर्मेटोलॉजिस्ट्स तक सीमित पहुँच के कारण कई रोगियों को अपना उपचार रोकना पड़ा। हालांकि, एक हालिया शोध से पता चला है कि उपचार के अनियमित होने से रोगी की स्थिति बिगड़ सकती है और लक्षणों को नियंत्रित करना कठिन हो सकता है, क्योंकि वे एडवांस्ड स्टेज में पहुँच सकते हैं।

डॉ. नायर ने आगे कहा, ‘‘मौजूदा महामारी के दौरान, हम सोरायसिस के रोगियों को लगातार अपने डर्मेटोलॉजिस्ट के संपर्क में रहने और डर्मेटोलॉजिस्ट से पूछे बिना उपचार नहीं छोड़ने की सलाह देते हैं। वर्तमान अनुशंसाओं के अनुसार, जो लोग संक्रमित नहीं हैं, वे अपना उपचार जारी रख सकते हैं और केवल कोविड पॉजिटिव रोगियों को डर्मेटोलॉजिस्ट की सलाह के अनुसार सिस्टेमेटिक या बायोलॉजिकल दवाएं लेना बंद करना है।’’

रूटीन की समस्याओं के लिये वर्चुअल चैनल हैं, लेकिन लोगों को जरूरत पड़ने पर क्लिनिक जाना बंद नहीं करना चाहिये और वहाँ जाते समय पूरी सावधानी रखनी चाहिये, जैसे हाथों को साफ रखना, सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करना, आदि।

Recent Articles

Related Stories

Leave A Reply

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay on op - Ge the daily news in your inbox