Wednesday, December 4, 2024

वी द वीमेन में महिलाओं ने बताई संघर्ष की कहानी

इस साल जयपुर में हुए बरखा दत्त के फ्लैगशिप टाउन हॉल वी द वुमन के 6वें संस्करण में आदित्य रॉय कपूर शामिल हुए। मंच पर इलेक्ट्रिक गिटार बजाने और गाने सुनाने के साथ ही आदित्य ने अपने जीवन से जुड़ी कई बातें साझा करते हुए इस फेस्टिवल में आई कई सेलेब्रेटेड वुमंस के बीच सुर्खियां बटोरी।  

इस बातचीत को मोजो स्टोरी डिजिटल प्लेटफॉर्म ((https://www.youtube.com/watch?v=xmgWm4K9JBQ)) पर देखा जा सकता है। यह बातचीत आधुनिक समय में मर्दानगी के विचार और ‘हीरो’ को लेकर बदलती अवधारणाओं पर केंद्रित थी। 

“टॉक्सिक मस्क्युलिनिटी” पर दर्शकों के एक सवाल के जवाब में कपूर ने कहा कि यह वाकई एक गंभीर मुद्दा है पर हमें इस फ्रेज़ का उपयोग भी सोच-समझकर करना चाहिए। इस फ्रेज़ का जरूरत से ज्यादा उपयोग करने पर केवल लोगों में भ्रम ही बढ़ेगा।  

आदित्य ने एक वाकई बताते हुए कहा कि एक बार मेरी एक प्रशंसक ने मुझे जबरदस्ती चूमने का प्रयास किया। मैं आश्चर्यचकित रह गया और किसी तरह उससे दूर हुआ। इस तरह के मामलों में मुझे लगता है कि क्या महिलाओं और निजिता से जुड़े नियमों का पुरुषों के मामले में भी सम्मान नहीं किया जाना चाहिए। इस तरह किसी के भी पर्सनल स्पेस में आने पर आप निश्चित रूप से असहज हो जाते हैं। मैं जनता हूँ कि कई लोग अपने उत्साह पर नियंत्रण नहीं रख पाते हैं इसलिए मैंने इस बात को नहीं बढ़ाया और खुद सुरक्षित जगह पर चला गया।

उन्होंने कहा “पर्सनल स्पेस के बारे में बातचीत करना महत्वपूर्ण है, हालांकि इस उदाहरण में, मैं इसे प्रभावी ढंग से और बिना बड़ी घटना के संभालने में सक्षम था।” 

आदित्य रॉय कपूर ने उनकी परवरिश, उनके करीबी परिवार और दोस्तों की भूमिका के बारे में भी बात की, जिसने उन्हें मिलने वाली भारी प्रशंसा के बावजूद उन्हें जमीन से जोड़े रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने बताया कि मुंबई में हाल ही में ब्लूज़ फेस्टिवल में छुप कर जाने के लिए उन्होंने एक मुखौटा पहना था। उन्हें एक मजेदार वाकिया भी सुनाया, जब वे एक ऑटोरिक्शा से कूद गए थे। उन्होंने कहा, “मेरे बचपन के दोस्त और परिवार एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और वे मुझे हमेशा विनम्र बनाए रखते हैं। हमारे प्रोफेशन में जितनी तेज़ी से सफलता मिलती है, उतनी ही तेज़ी से जा भी सकती है इसलिए हमेशा जमीन से जुड़े रहना जरुरी है। 

बरखा दत्त ने कपूर से ऐसे पैट्रीआर्कल स्टीरियोटाइप्स के बारे में पूछा जिससे पुरुष भी लड़ते हैं और उन्हें उतना पब्लिक अटेंशन नहीं मिलता है। जवाब में कपूर ने एक हालिया रिपोर्ट के बारे में बताया जिसे उन्होंने पढ़ा था कि पिछले साल आत्महत्या करने वालों में 78% पुरुष थे, और फिर भी थेरेपी करने वाले केवल ⅓ लोग ही पुरुष हैं, यह दर्शाता है कि पुरुष भी विभिन्न क्राइसेस से जूझ रहे हैं। “समाज पुरुषों को कमजोर होने और मदद मांगने के लिए प्रोत्साहित करने के बावजूद, पुरुषों से रखी जाने वाली अपेक्षाएं नहीं बदली हैं। पुरुषों से अभी भी कुछ सामाजिक मानदंडों के अनुरूप होने की अपेक्षा की जाती है, जिससे वे कंफ्यूज और अनश्योर हो जाते हैं कि अपने स्ट्रगल को कैसे कम्यूनिकेट करें। यह पुरुषों की मानसिक स्वास्थ्य आवश्यकताओं को बेहतर ढंग से समझने और सपोर्ट करने के लिए जरूरत को हाइलाइट करता है।

यह पूछे जाने पर कि उन्होंने असफलता का सामान कैसे किया, कपूर ने कहा, “यह बहुत क्रूर हो सकता है..मैं पहले शैल में जाकर इससे निपटता हूं और किसी से बात नहीं करता। एक बार जब मैं अपना सेंटर में वापस आ जाता हूं, तो मैं काम पर वापस जाने की कोशिश करता हूं। मैंने देखा कि निराशा से बचने सबसे अच्छा इलाज सेट पर जाना है… लेकिन मुझे सोलो ट्रैवलिंग और नई चीजों को आजमाने में भी मजा आता है।”

चैनल वी पर वीजे के रूप में अपने दिनों को याद करते हुए, आदित्य ने भी म्यूजिक के प्रति अपने जुनून को शेयर किया और बताया कि उनका एक एल्बम भी आने वाला है। “म्यूजिक हमेशा मेरे लिए बचने और खुद को अभिव्यक्त करने का एक तरीका रहा है। मैं शास्त्रीय संगीत से लेकर रॉक और इंडी तक हर तरह का संगीत सुनता हूं। यह कुछ ऐसा है जो मेरे साथ बहुत गहराई तक कनेक्ट करता है और मैं इसे अपने काम में भी शामिल करने की कोशिश करता हूं।”

जैसा ही भीड़ ने उन्हें गाने के लिए कहा, उन्होंने नागालैंड के कलाकार इम्नैनला जमीर (जो वी द वूमेन फेस्टिवल में एक वक्ता भी थीं) से गिटार लेकर उसे प्ले करना शुरू कर दिया और एक ट्रैक भी गाया जिसे सुन भीड़ मंत्रमुग्ध हो गई।

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