Wednesday, December 4, 2024

म्यूचुअल फंड में छोटे शहरों के निवेशकों की बढ़ी भागीदारी

पिछले कुछ साल में म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में जबरदस्त ग्रोथ देखने को मिली है गई है, जिसकी वजह यह है कि लोगों में अपनी बचत के वित्तीयकरण (फाइनेंशियलाइजेशन) के ट्रेंड की गति बढ़ रही है। म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का कुल एसेट्स मई 2020 में 24.28 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर मई 2023 में 42.94 लाख करोड़ रुपये हो गया है। (सोर्स: AMFI)।

पीजीआईएम इंडिया म्यूचुअल फंड (PGIM India Mutual Fund) के सीईओ अजीत मेनन का कहना है कि भारत की स्‍ट्रक्‍चरल ग्रोथ स्टोरी में भाग लेने के लिए निवेशकों के लिए म्यूचुअल फंड एक आदर्श जरिया है। भारतीय म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री इस ट्रेंड का प्रमुख बेनेफिशरी यानी लाभार्थी होगा। जैसे-जैसे भारत की प्रति व्यक्ति आय बढ़ रही है, वैसे-वैसे बचत और निवेश के अलावा अपनी जरूरी आवश्यकताओं पर खर्च के लिए उपलब्ध धन में भी भारी बढ़ोतरी हो रही है। हमें 1000 डॉलर प्रति व्यक्ति आय तक पहुंचने में लगभग 67 साल लगे और फिर 10 साल में हम 2000 डॉलर प्रति व्यक्ति आय को पार कर गए। इससे बचत में उछाल आया है, जिससे म्‍यूचुअल फंड इंडस्‍ट्री की ग्रोथ 10 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 40 लाख करोड़ रुपये हो गई है, यानी 10 साल में 4 गुना ग्रोथ। अगर आगे 10-11 फीसदी की दर से भी ग्रोथ होती रहे, जिसका कि अनुमान है, तो 6 से 7 साल में ही म्‍यूचुअल फंड इंडस्ट्री का साइज मौजूदा साइज से डबल हो जाएगा। जैसा कि हम बचत के वित्तीयकरण में बढ़ोतरी और फ्रिक्शन यानी घर्षण में कमी देख रहे हैं, जरूरी आवश्यकताओं पर खर्च, बचत और निवेश के लिए परिवारों के पास उपलब्ध धन में बड़ा उछाल आ सकता है। गुणक प्रभाव यानी राष्ट्रीय आय और उत्पाद पर पड़ने वाला प्रभाव एक सीधी रेखा में नहीं होगा और म्‍यूचुअल फंड इंडस्ट्री का साइज संभावित रूप से 200 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।

एक और बेहतर संकेत देने वाला ट्रेंड यह है कि छोटे शहरों से म्यूचुअल फंड में निवेशकों की भागीदारी लगातार बढ़ रही है। मई 2023 तक लगभग 17 फीसदी या 7.30 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति B30 स्थानों पर केंद्रित है। पीजीआईएम इंडिया म्यूचुअल फंड लगातार अपनी सेवा क्षमताओं को बढ़ा रहा है। यह निवेशकों और डिस्ट्रीब्यूटर्स (वितरकों) के लिए उपलब्ध अपने डिजिटल प्लेटफार्म में नई सुविधाएं पेश कर रहा है और डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क का विस्तार कर रहा है। पीजीआईएम इंडिया म्यूचुअल फंड के पैनल में शामिल डिस्‍ट्रीब्‍यूटर्स की संख्या मार्च 2022 में 681 से बढ़कर मार्च 2023 में 800 हो गई है।

हमारी विकास यात्रा और भारतीय अर्थव्यवस्था की ग्रोथ व लचीलेपन को देखकर पीजीआईएम इंडिया ने अप्रैल 2023 से 2 नए बिजनेस  – इंटरनेशनल और वैकल्पिक निवेश फंड (अल्‍टरनेटिव इन्‍वेस्‍टमेंट फंड) शुरू किया है। श्रीनिवास राव रावुरी पीजीआईएम इंडिया के नए इंटरनेशनल बिजनेस को लीड कर रहे हैं, जबकि अनिरुद्ध नाहा CIO अल्‍टरनेट के रूप में नए AIF को लीड करेंगे। विनय पहाड़िया अप्रैल 2023 से इक्विटी और फिक्‍स्‍ड इनकम बिजनेस के लिए CIO के रूप में शामिल हुए हैं।

म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए रिटायरमेंट जैसे लॉन्‍ग टर्म लक्ष्य के लिए बचत करने का एक आदर्श जरिया है। पीजीआईएम इंडिया म्यूचुअल फंड रिटायरमेंट रेडीनेस सर्वे 2020 से पता चलता है कि जिन लोगों ने म्यूचुअल फंड में निवेश किया है, उनमें से 49 फीसदी ने कहा कि उनके पास रिटायरमेंट प्‍लान है। इसके अलावा, सर्वे से पता चलता है कि भारतीय निवेशक फ्यूचर प्लान की तुलना में वर्तमान के खर्चों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। रिटायरमेंट प्लानिंग सकारात्मक रूप से आय से संबंधित है, न कि उम्र से। यह दर्शाता है कि भारतीय रिटायरमेंट की योजना तब बनाते हैं, जब उनके पास अतिरिक्त पैसा होता है, और वे वर्तमान में अपनी सुख-सुविधाओं से समझौता  किए बिना बचत कर सकते हैं।

अजीत मेनन का कहना है कि पीजीआईएम इंडिया फाइनेंशियल प्लानिंग को लेकर जागरूकता की लगातार पहल करता रहता है। जागरूकता पहल की सीरीज और भारतीयों की आवश्यकताओं को देखते हुए इनोवेटिव यानी नए नए प्रोडक्ट और सेवाओं के जरिए भारतीयों को खुद को वित्तीय रूप से सुरक्षित बनाने में मदद करने के लिए लगातार काम कर रहा है। ऐसी ही एक पहल है मनी एंड मी, एक निवेशक शिक्षा पहल, जो अलग अलग उम्र के लोगों के लिए खास कंटेंट पेश करता है। फाइनेंशियल प्लानिंग में एक सही क्रम का पालन करने से बहुत हद तक आपके फाइनेंस का ध्‍यान रखा जा सकता है। सही क्रम घरेलू बजटिंग अभ्यास से शुरू करना हो सकता है, फिर जीवन बीमा के माध्यम से सुरक्षा खरीदना, उसके बाद बचत करना (जिसमें एक इमरजेंसी फंड शामिल है) और अंत में, बचे हुए फंड का निवेश करना (जिसमें टैक्स के लाभ का ध्यान रखना भी शामिल है)। निवेश के चरण में, रिटायरमेंट प्लानिंग को प्राथमिकता देने की जरूरत है, क्योंकि यह एकमात्र वित्तीय लक्ष्य है, जिसके लिए किसी को लोन नहीं मिल सकता है।

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