बीमा जागरूकता दिवस मनाते हुए, भारत के टॉप ऑनलाइन इंश्योरेंस प्लेटफॉर्म पॉलिसीबाजार ने अपनी नई रिपोर्ट जारी की है, जिसका टॉपिक है –इज इंडिंया हैप्पी विद हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम्स? हेल्थ इंश्योरेंस इकोसिस्टम में क्लेम्स की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानते हुए, ये रिसर्च विभिन्न क्षेत्रों, शहरों और अलग-अलग उम्र और लिंग के लोगों के हेल्थ इंश्योरेसं क्लेम अनुभव की प्रकृति को दर्शाता है। 39 शहरों में 2,100 से अधिक लोगों का सर्वेक्षण किया गया, जिसमें यह विस्तृत जानकारी दी गई की भारतीय अपने हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम्स से कितने संतुष्ट है।
अध्ययन के निष्कर्षों पर बोलते हुए, पॉलिसीबाजार के ज्वाइंट ग्रुप सीईओ, सरबवीर सिंह ने कहा, “क्लेम ग्राहकों के लिए इंश्योरेंस का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है इसलिए, क्लेम समाधान और क्लेम आश्वासन जैसी विभिन्न पहलों के माध्यम से क्लेम के अनुभव में सुधार हमारे लिए एक प्रमुख फोकस क्षेत्र रहा है। यह अध्ययन उपभोक्ताओं के क्लेम के अनुभव को और बेहतर बनाने के हमारे प्रयासों का विस्तार है। यह रिपोर्ट क्लेम के अनुभव के हर पहलू में ग्राहक का एक सूक्ष्म दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है जो हमें उनके अनुभव को और बेहतर बनाने के लिए उपयोगी अंतर्दृष्टि प्रदान करती है। यह बेहतर पारदर्शिता, जागरूकता और डिजिटल उपकरणों को अपनाने की आवश्यकता को भी सामने लाता है।”
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम स्वीकृती दर तेजी से बढ़ रहे हैं, 94% क्लेम स्वीकृत हो गए हैं। इसका मतलब है कि अधिकांश पॉलिसीधारकों के क्लेम स्वीकार हुए है। इसके अतिरिक्त, 86% लोग अपने क्लेम के अनुभव से खुश हैं। 6% अस्वीकृत क्लेम के छोटे से हिस्से की अगर बात करे तो रिसर्च से यह पता चलता है कि ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड का उपयोग करने से क्लेम स्वीकृती दर को बढ़ाया जा सकता है।
आज के समय में जब हेल्थकेयर इतना महंगा हो चुका है और महंगाई तेजी से बढ़ रही है। इस समय निजी अस्पतालों द्वारा मांगे जाने वाले इलाज का खर्च हर कोई उठा नहीं सकता है। पॉलिसीधारकों के लिए चीजों को और अधिक आसान बनाने के लिए अब स्वास्थ्य बीमा में पूरी तरह से कैशलेस इलाज की सुविधा उपलब्ध करा दी गई है। कुछ परिस्थितियों में रीमबर्समेंट की अभी भी आवश्यकता है। एक सर्वे के मुताबिक, करीब 68 फीसदी लोगों ने कहा कि अगर पॉलिसी में कैशलेस क्लेम की सुविधा नहीं है तो उन्हें या तो वित्तीय सहायता की जरूरत है या फिर अपनी बचत से पैसे खर्च करने होते है।
वहीं अगर छोटे शहरों का बात करें तो इनके लिए अस्पताल का खर्चों का भुगतान करना काफी कठिन होता है। इलाज का खर्च एक लाख रुपये से ज्यादा होने पर अक्सर इन लोगों को बचत और निवेश के पैसों पर निर्भर होने के साथ-साथ लोन का सहारा भी लेना पड़ता है। छोटे शहरों में यही कारण है कि कैशलेस इलाज पॉलिसीधारकों की पहली पसंद है। सर्वे के मुताबिक, 89% लोगों ने कहा कि वे कैशलेस क्लेम्स से बहुत संतुष्ट हैं।