अब तक ब्रेन ट्यूमर में होने वाली सर्जरी में कई तरह की कॉम्प्लिकेशन हुआ करती थी जो मरीज के लिए बेहद नुकसानदायक होती थी। लेकिन समय के साथ आई नई तकनीकों ने ब्रेन सर्जरी को काफी बेहतर कर दिया है। अब न्यूरो नेविगेशन तकनीक से सर्जन ये मालूम कर सकते हैं कि सर्जरी के वक्त दिमाग में उनकी सटीक लोकेशन क्या है। इससे आस पास के हिस्से को बिना नुकसान पहुंचाए सटीकता से सर्जरी की जा सकती है। वर्ल्ड ब्रेन ट्यूमर डे पर शहर के रुकमणी बिरला हॉस्पिटल में आयोजित हुए कॉन्टिन्यूइंग मेडिकल एजुकेशन (सीएमई) के हॉस्पिटल के न्यूरो सर्जन डॉ. अमित चक्रबर्ती और डॉ. संजीव सिंह ने तकनीकी सत्र में इस तकनीक से जुड़ी जानकारी दी।
न्यूरो सर्जरी में गलती की बिल्कुल गुंजाइश नहीं – कोर्स डायरेक्टर डॉ. अमित चक्रबर्ती एवं डॉ संजीव सिंह ने बताया कि ब्रेन ट्यूमर का ऑपरेशन काफी जोखिमभरा होता है और इसमें गलती की गुंजाइश बिल्कुल नहीं होती क्योंकि जरा सी भी गलती होने पर मरीज को लकवा हो सकता है, उसके बोलने, देखने या सुनने की क्षमता भी खो सकती है। इसीलिए ब्रेन ट्यूमर सर्जरी में काफी नई तकनीकें आ रही हैं जिसमें हाल ही में सबसे महत्वपूर्ण तकनीक आई है रियल टाइम न्यूरो नेविगेशन। इससे सर्जन को यह पता रहता है कि ट्यूमर निकलते वक्त ब्रेन में वे किस जगह हैं, ट्यूमर सही रास्ते से निकल रहा है कि नहीं, ब्रेन की कोई नस तो प्रभावित नहीं हो रही, जैसे महत्वपूर्ण जानकारी इस तकनीक से रियल टाइम में मालूम होती रहती हैं। इससे ऑपरेशन का परिणाम काफी बेहतर हो जाता है और गलती की संभावना न के बराबर रह जाती है। इस तकनीक से पिछले नौ महीने में 100 से अधिक सर्जरी कर चुके हैं।
इंट्रा ऑपरेटिव अल्ट्रासाउंड ने और आसान की सर्जरी – एक अन्य तकनीक के बारे में डॉ. संजीव सिंह ने बताया न्यूरो नेविगेशन सिस्टम के साथ ही सर्जन अब इंट्रा ऑपरेटिव अल्ट्रासाउंड का भी इस्तेमाल करने लगे हैं जिसे नेविगेशन के साथ जोड़ दिया जाता हैं। इससे यह पता चलता है कि सर्जन ब्रेन में किस जगह पर हैं और वहां नर्व की क्या स्थिति है। यह तकनीक सर्जरी के दौरान दिमाग में होने वाले रक्तप्रवाह व अन्य जानकारियां देती है।