पशु अधिकार कार्यकर्ता गैर मानव जानवरों की दुर्दशा को उजागर करने और एक सामाजिक न्याय आंदोलन के रूप में वीगनिज्म को बढ़ावा देने के लिए इकठ्ठा हुए। राजस्थान वीगन मूवमेंट एवं वीगन इंडिया मूवमेंट द्वारा आयोजित किए गए इस कार्यक्रम का उद्देश्य सामाजिक मानदंडों को चुनौती देना और एक नैतिक दुनिया की दिशा में बदलाव को प्रेरित करना है। भारत के २२ से ज्यादा शहरों में ये आयोजन हुआ यह कार्यक्रम, भारत के 77 वे स्वतंत्रता दिवस पर आधारित है, और इंसानों की तरह जानवर भी आजादी के हकदार हैं इस शक्तिशाली संदेश को देने का प्रयास करता है। वीगन कार्यकर्ता खुद को एक प्रतीकात्मक पिंजरों में कैद , और मरे हुए लाश की तरह लेट कर एक गहरा संदेश देने का प्रयास किया।
इन प्रभावशाली दृश्यों का उद्देश्य लोगों का ध्यान इस तथ्य की ओर आकर्षित करना है कि खरबों जानवर का भोजन, कपड़े, मनोरंजन या अन्य उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जा रहा हैं और अन्यायपूर्वक उन्हे मौलिक अधिकारों से वंचित किया जा रहा है। “ हमारा मानना है कि जानवरों को संवेदनशील प्राणियों के रूप में देखने का समय आ गया है जिन्हे शोषण से मुक्त होकर जीने का अधिकार है। आज हम उनसे जो करवा रहे हैं वह किसी गुलामी से कम नहीं है”, प्रमुख कार्यकर्ता तृप्ति जैन कहती हैं वीगनिज्म केवल एक आहार विकल्प नहीं है, यह एक एक सामाजिक न्याय आंदोलन है जिसका उद्देश्य जानवरों पर हो रही क्रूरता को कायम रखने वाली प्रणालियों को खत्म करना है।
एक समर्पित कार्यकर्ता लोकेश जोर देकर कहते हैं हमारा लक्ष्य लोगों की कल्चरल कंडीशनिंग को इंगित करना है, जो जानवरों से प्राप्त उत्पादों का उपयोग करने के लिए हमे प्रोत्साहित करते है। ऐसे उत्पाद, जो उनकी पीड़ा से उत्पन्न हुए हों। जानवर भी हमारी तरह ही एक व्यक्तित्व के धनी हैं। हम जानवरों के प्रति समाज की धारणा में बदलाव लाना चाहते हैंय यह एक ऐसा समाज है जो जानवरों के साथ दुर्व्यवहार करता है और उन्हें दंडित करता है। वीगन बनकर, हम एक ऐसी दुनिया बना सकते है जहां हमारे कार्य करुणा और न्याय के मूल्यों के साथ तालमेल बिठाएं। यह हमसे कुछ नहीं छीनता बल्कि उन जानवरों के लिए बदलाव लाता है जिनके साथ शोषण किया जाएगा और अंततः उन्हे मार दिया जाएगा।“