Friday, March 28, 2025

मिर्गी के उचित प्रबंधन के लिये व्यक्ति में जागरूकता जरूरी : डॉ. जगदीश चन्द्र कूकणा

आधुनिक जीवनशैली में बदलते खान-पान की आदतों ने कई नई बीमारियों को जन्म दिया है, जिसे दूर करने के लिये समाजसेवियों और सरकार द्वारा लगातार जागरूकता कार्यक्रम चलाये जाते रहते हैं। मगर कई ऐसे रोग हैं जो समय बदलने से पहले ही अस्तित्व में हैं , और पीड़ित को परेशान करते हैं। इन्हीं में एक नाम मिर्गी का है, जो पीड़ित व्यक्ति को व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। अक्सर लोगों में मिर्गी के संबंध में जानकारी की कमी के चलते पीड़ित को उनके द्वारा बहिष्कार का सामना भी करना पड़ता है। ऐसे में यह बेहद आवश्यक है कि हम इस रोग के बारे में जानकारी लेकर इसके निदान के बारे में जानें।

इस बारे में बीकानेर के सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज एवं पी.बी.एम. अस्पताल के न्यूरोलोजी विभागाध्यक्ष और डींएम. न्यूरोलोजी, डॉ. जगदीश चन्द्र कूकणा ने बताया कि अगर किसी व्यक्ति में मिर्गी के लक्षण नजर आए तो उसे शीघ्र डॉक्टर से सलाह लेना चाहिये। एक डॉक्टर के लिये व्यक्ति के मिर्गी के दौरे के बारे में विस्तार से जानना सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। मिर्गी का पता करने के लिये व्यक्ति की पूर्व में हुई सम्पूर्ण चिकित्सा की जानकारी, शारिरिक जांच और  मष्तिष्क इमेजिंग टेस्ट की जरूरत पड़ती है। उन्होंने कहा कि मिर्गी का प्रबंधन किया जा सकता है। जिसके लिये कुछ जरूरी बातों को ध्यान में रखें जैसे- अपने स्वास्थ्य संबंधी निर्देशों का पालन करें, चिकित्सक द्वारा बताई गई दवा लें, मिर्गी के कारण को पहचानें, अच्छी नींद लें, तनाव लेने से बचें, सावधानीपूर्वक व्यायाम करें, शरीर को हाइड्रेटेड रखें, पानी और तरल पदार्थों का अधिक प्रयोग करें, शराब व नशीली दवाओं के सेवन से बचें। दौरे की डायरी बनाएं और मिर्गी की स्थिति आने पर सहयोग करने वाले समूह बनाने पर विचार करें।

दरअसल, मिर्गी एक तंत्रिका संबंधी विकार है, जिसमें पीड़ित को बार-बार और अचानक दौरे आते हैं। ऐसा तब होता है जब व्यक्ति के मष्तिष्क का विद्युतीय आवेग सही तरीके से काम नहीं करता है। किसी भी उम्र का व्यक्ति मिर्गी से पीडित हो सकता है, जिसकी अलग-अलग वजह जैसे आनुवांशिक, मष्तिष्क की चोट, संक्रमण या विकास संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।  मष्तिष्क में असामान्य गतिविधियों के कारण मिर्गी की स्थिति उत्पन्न होती है। मिर्गी से पीड़ित प्रत्येक व्यक्ति अलग-अलग अनुभवों से गुजरता है। एपिलेप्सी की वजह से व्यक्ति की दिनचर्या और सामाजिक छबि पे प्रभाव पड़ सकता है।

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