खांसी में खून आने की शिकायत से अस्पताल पहुंचे 82 वर्षीय बुजुर्ग को अंदाजा भी नहीं था कि वे कितनी बड़ी मुसीबत से घिर गए थे। श्वास रोग विशेषज्ञ के पास परामर्श ले रहे बुजुर्ग का जब सीटी स्कैन हुआ तो सामने आया कि उनके शरीर की सबसे बड़ी नस एओर्टा यानि महाधमनी में एन्युरिज्म (गुब्बारा) बनकर फट गया था जिससे उनके फेफड़े में खून जमा होने लगा था और खांसी आने से वही खून बाहर आ रहा था। ऐसे में शहर के रुकमणी बिरला हॉस्पिटल की कार्डियक साइंस टीम ने इस केस में जटिल सर्जरी कर उनकी जान बचाई। हॉस्पिटल के सीनियर कार्डियक सर्जन डॉ. आलोक माथुर और टीम ने यह सफल केस किया।
2016 में हो चुकी है बायपास सर्जरी — डॉ. आलोक माथुर ने बताया कि मरीज की 2016 में बायपास सर्जरी हो चुकी थी। पिछले कुछ दिनों से उन्हें खांसने के दौरान मुंह से खून आ रहा था जिसके इलाज के लिए वे यहां रुकमणी बिरला हॉस्पिटल आए। यहां उनकी सीटी स्कैन जांच में एओर्टा में एन्युरिज्म लीकेज सामने आया। ऐसे में केस तुरंत कार्डियक साइंस विभाग को रैफर किया गया। डॉ. आलोक माथुर ने एओर्टा एन्युरिज्म को ठीक करने के लिए पहले डिब्रांचिंग सर्जरी की जिसमें उन्होंने मस्तिष्क की ओर जाने वाली नस और बांय हाथ की ओर जाने वाली नस के बीच ग्राफ्ट बनाकर बायपास किया। इसके बाद इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी टीम ने थोरेसिक एंडोवैस्कुलर एओर्टिक रिपेयर (टीवार) प्रोसीजर कर एन्युरिज्म से बने छेद को कवर्ङ स्टेंट से व हाथ की नस को वैस्कुलर प्लग लगाकर बंद कर दिया।
एन्युरिज्म फटने पर 50 प्रतिशत है मृत्यु दर — महाधमनी में एन्युरिज्म बनना मरीज के लिए जानलेवा स्थिति मानी जाती है। डॉ. आलोक माथुर ने बताया कि ऐसे मामलों में 50 प्रतिशत मृत्यु दर है। अब नई तकनीकों और बेहतर पोस्ट केयर की मदद से इसका इलाज संभव है। अधिक उम्र में एओर्टा का एन्युरिज्म लीक होना काफी जानलेवा था लेकिन हॉस्पिटल के मल्टीस्पेशियलिटी बैकअप और अनुभवी डॉक्टर्स की टीम की बदौलत इस केस को काफी अच्छे से संभाल लिया। सर्जरी के चार दिन बाद ही मरीज को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया।